शनिवार, 29 मार्च 2014

सब वेद पढ़ें, सुविचार करें।

सब वेद पढ़ें, सुविचार करें।
बल पायें चढ़े नित ऊपर को।।
अविरुद्ध रहे, निज पंथ चलें।
परिवार करें वसुधा भर को।।
ध्रुव धर्म रखें, पर दुःख हरें।
तन त्याग करें भव सागर को।।
दिन फेर पिता, वर दे सविता।
हम आर्य करें जगती भर को।।

जन्मदिन बधाई



जन्मदिन आज फिर आया
बधाई हो बधाई हो |
ख़ुशी का रंग है छाया,
बधाई हो बधाई हो |
यह दिन इश्वर ने दिखलाया,

बधाई हो बधाई हो |

तेरे पूजन को भगवान्, बना मन-मंदिर आलीशान

तेरे पूजन को भगवान्, बना मन-मंदिर आलीशान
किसने देखी तेरी माया
किसने भेद तेरा है पाया
ऋषि-मुनि हारे कर ध्यान, बना.....|
किसने देखी तेरी सूरत
कौन बनावे तेरी मूरत
तू है निराकार भाग्वान्, बना ......|
यह संसार है तेरा मंदिर
तू रमा है इस के अन्दर
करते ऋषि-मुनि सब ध्यान, बना .....|
तू हर गूल में, तू बुलबुल में
तू हर शाख में, तू हर पात में
तू हर दिल में प्रभु को मान, बना ....|
तू ही वन में, तू ही मन में
तेरा रूप अनूप महान्, बना .....|
तू ने राजा रंक बनाए
तूने भिक्षुक राज बिठाए
तेरी लीला इश महान्, बना .... |
झूठे जग के झूठी माया
मुर्ख इसमें क्यों भरमाया

कर कुछ जीवन का कल्याण , बना ...|

फूलों से तुम हँसना सीखो, भँवरों से तुम गाना |

फूलों से तुम हँसना सीखो, भँवरों से तुम गाना |
सूरज की किरणों से सीखो, जागना और जगाना |
धुएँ से तुम सारे सीखो, ऊँची मंजिल जाना |
वायु के झोंको से सीखो, हरकत में ले आना |
वृक्षों की डाली से सीखो, फल पाकर झुक जाना |
मेहंदी के पत्तों से सीखो, पिस पिस रंग चढ़ाना |
पत्ते और पेड़ों से सीखो, दुःख में धीर बंधाना |
धागे और सुई से सीखो, बिछुड़े गले लगाना |
मुर्गों की बोली से सीखो, प्रातः प्रभु गुण गाना |

पानी की मछली से सीखो, धर्म के हित मर जाना |

यज्ञोपवीत महिमा

यज्ञोपवीतं परमं पवित्रं प्रजपतेर्यत्सहजं पुरस्तात् |
आयुष्यमग्र्यं प्रतिमुञ्च शुभ्रं यज्ञोपवीतं बलमस्तु तेज:|
यज्ञोपवीतमसि यज्ञस्य त्वा यज्ञोपवीतेनोपनह्यामि ||

पारस्कर गृहसूत्र २/२/१०  

यज्ञोपवीत महिमा
तर्ज :-  ऐ दिल जरा संभल जा शायद वह आ गया है |
यज्ञोपवीत लेकर खुद को निहारना है |
जीवन सुधारने का संकल्प धारना है | जीवन .....
हर झूठ की तरफ से मुहं अपना फेरना है |
सच्चे व्रतों का पालन करने की प्रेरणा है |
ताप त्याग साधना को हरदम उभारना है | जीवन .....
गायत्री जाप संध्या स्वाध्याय यज्ञ करना |
दुष्टों की संगति में हरगिज न पाँव धरना |
भगवान को कभी न दिल से बीसारना है | जीवन ....
समझो ये तीन ऋण हैं, कंधे पे तीन धागे |
जब तक हैं प्राण इन से व्यक्ति कभी न भागे |
माता पिता गुरु के ऋण को उतारना है | जीवन ....
पितरों की टहल सेवा देवों की उचित पूजा |
ऋषियों के संग जैसा कर्तव्य है न दूजा |
निष्कपट स्वच्छ सुन्दर जीवन गुजारना है | जीवन...
नेकी के काम करके फल की न चाह लाना |
निष्काम भाव होकर औरों के काम आना |
शिक्षा का सूत्र है यह मन में विचारना है | जीवन ...
शुभ चिह्न आर्यों का यज्ञोपवीत है यह |
सब श्रेष्ठ लोग पहनें ऋषियों की रीत है यह |
दुनियाँ में “पथिक” इस के यश को निखारना है | जीवन ....

(साभार :- “पथिक” भजन संग्रह भाग २, रचयिता :- पण्डित सत्यपाल जी “पथिक” अमृतसर, प्रकाशक :- आर्य प्रकाशन, दिल्ली)

हे प्रभु ! हम तुमसे वर पावें |

हे प्रभु ! हम तुमसे वर पावें |
अखिल विश्व को आर्य बनावें ||
फलें सुख – संपत्ति फैलावें,
आप बढ़ें प्रिय राष्ट्र बढ़ावें |
वैर विघ्न को मार मिटावें,
प्रीति – नीति की रीति चलावें ||
हे प्रभु ! हम तुमसे वर पावें |

अखिल विश्व को आर्य बनावें ||

हे प्रभो ! आनंद – दाता ज्ञान हमको दीजिए |

हे प्रभो  ! आनंद – दाता ज्ञान हमको दीजिए |
शीघ्र सारे दुर्गुणों को दूर हमसे कीजिए ||
लीजिये हमको शरण में हम सदाचारी बनें |
ब्रह्मचारी, धर्मरक्षक, वीर व्रतधारी बनें |
कार्य जो हमने उठाये, आपकी ही आश से |

ऐसी कृपा करिये प्रभो सब पूर्ण होवें दास से ||